Friday, October 17, 2014

मीना-मीणा विवाद : राजस्थान सरकार संशोधित अधिसूचना जारी करवाये-डॉ. निरंकुश


मीना-मीणा विवाद : राजस्थान सरकार संशोधित अधिसूचना जारी करवाये-डॉ. निरंकुश

उच्च शिक्षा की उम्मीद लगाये बैठे मीणाओं के युवा वर्ग में राजस्थान सरकार के विरुद्ध भयंकर क्षोभ, आक्रोश और गुस्सा
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मीना-मीणा विवाद की हकीकत
1. काका कालेकर आयोग ने मीणा जाति को ‘मीणा’ नाम से जनजाति में शामिल करने की सिफारिश की।
2. सरकारी काले अंग्रेजों ने ‘मीणा’ जाति को अंग्रेजी में Mina नाम से जनजातियों की सूची में शामिल किया।
3. राजभाषा कानून लागू होने पर सरकारी काले अंग्रेजों ने Mina जाति को हिन्दी में ‘मीना’ अनुवादित किया।
4. सरकारी स्कूलों में इंगलिश टीचर्स ने मीणा विद्यार्थियों को ‘मीना’ को अंग्रेजी में Meena लिखना सिखाया।
5. इन कारणों से हिन्दी में ‘मीणा’ और ‘मीना’ तथा अंग्रेजी में Meena शब्द प्रचलित हुए। इसी वजह से सरकार की ओर से भी मीना, मीणा और Meena नाम से जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जाते रहे हैं।
6. सरकारी अमले की गलती को मीणा जाति का धोखा बताकर मनुवादियों, पूंजिपतियों और काले अंग्रेजों के गठजोड़ द्वारा मीणा जाति को जनजातियों की सूची से बाहर करने का षड़संत्र रचा गया है।
7. इसमें दोष किसका सरकार का या मीणा जाति का?
------------------------------------डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’, प्रमुख-हक रक्षक दल
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जयपुर। हक रक्षक दल के प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ ने राजस्थान की मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रशासनिक अमले की गलति के कारण मीणा को Mina लिखा गया। जिसे हिन्दी अनुवाद करके मीना बना दिया और और मनुवादियों तथा पूंजिपतियों के इशारे पर अब मीणा जाति को जनजातियों की सूची से हमेशा को बाहर करने का षड़यंत्र रचा गया है। मीणा जाति को समान्य जाति होने का दुष्प्रचार किया जा रहा है। जिसे रोकने के लिये राज्य सरकार तुरन्त केन्द्र सरकार को सिफारिश करे और मीना जाति के सभी समानार्थी नामों सहित संशोधित अधिसूचना जारी करवाई जाये। 

डॉ. निरंकुश ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि काका कालेकर आयोग द्वारा ‘मीणा’ जाति को जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी। लेकिन काले अंग्रेज बाबुओं ने मीणा जाति को अंग्रेजी में Mina अनुवाद करके अंग्रेजी में Mina नाम से जनजाति की सूची में अधिसूचित कर दिया।

डॉ. निरंकुश ने आगे बताया है कि 1976 में राजभाषा अधिनियम लागू होने के बाद Mina नाम से जनजाति सूची में शामिल ‘मीणा’ जाति को सरकारी अनुवादकों ने हिन्दी में ‘मीना’ अनुवादित करके मीना/Mina के नाम से जनजातियों की सूची में फिर से अधिसूचित कर दिया।

इस प्रकार काका कालेकर आयोग द्वारा जिस ‘मीणा’ जाति को जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गयी थी, उसे सरकारी अमले ने मीना/Mina जाति बना दिया। जिसके चलते सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर ‘मीणा’ के साथ-साथ ‘मीना’ शब्द भी प्रचलन में आ गया। डॉ. निरंकुश ने लिखा है कि केवल यही नहीं, बल्कि इसी दौरान मीणा जाति के विद्यार्थियों को सरकारी पाठशालाओं में प्रारम्भ से ही सरकारी अध्यापकों द्वारा मीना/मीणा का अंग्रेजी अनुवाद Meena लिखना सिखाया जाता रहा।

डॉ. निरंकुश का कहना है कि ‘मीणा’ जाति को काले अंग्रेजों ने मीणा जाति को क्रमश: Mina, मीना और Meena बना दिया। इसीलिये राजस्थान में किन्हीं अपवादों को छोड़कर सभी मीणाओं को मीना, मीणा, Meena नाम से ही जनजाति के जाति प्रमाण-पत्र बनाये जाते रहे हैं।

डॉ. निरंकुश ने लिखा है कि इतिहास गवाह है कि स्वतन्त्रता संग्राम में बढचढकर भाग लेने वाले मीणा जनजाति के स्वाभिमानी लोग सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़े होने के बावजूद शुरू से ही अत्यधिक लगनशील, परिश्रमी और व्यसनमुक्त जीवन व्यतीत करते रहे हैं। इसी वजह से मीणा प्रतिभाओं ने सरकारी नौकरियॉं हासिल की और अपनी प्रशासनिक, प्रबन्धकीय और तकनीकी बौद्धिक क्षमताओं का हर क्षेत्र में लोहा मनवाया। आरक्षण विरोधी रुग्ण मानसिकता के शिकार और हजारों सालों से व्यवस्था पर काबिज मनुवादियों, पूंजिपतियों और काले अंग्रेजों को मीणाओं की ये सांकेतिक प्रगति भी सहन नहीं हुई।

डॉ. निरंकुश का कहना है कि इन्हीं कारणों से मनुवादियों, पूंतिपतियों और काले अंग्रेजों के खुले समर्थन से आरक्षण विरोधी शक्तियों ने मीणाओं की उभरती प्रतिभाओं को आरक्षण से वंचित करने के दुराशय से मीणा जाति का आरक्षण समाप्त करने का सुनियोजित षड़यंत्र रचा है और न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लेकर, प्रशासनिक गलतियों की सजा मीना/मीणा जनजाति की वर्तमान युवा पीढी को दी जा रही है।

डॉ. निरंकुश ने मुख्यमंत्री को ध्यान दिलाया है कि सभी तथ्यों के प्रकाश में और राजस्थान की मीणा जाति के बारे में मौलिक जानकारी रखने वाले हर एक राजस्थानी को इस बात का अच्छी तरह से ज्ञान होता है कि जनजातियों की सूची में शामिल मीना/Mina जाति को स्थानीय बोलियों में ‘मीणा/मीना, मैना/मैणा, मेंना/मेंणा, मेना/मेणा’ इत्यादि नामों से बोला और लिखा जाता रहा है। जिसके प्रमाण मीणाओं की वंशावली लिखने वाले जागाओं की पोथियों में भी मौजूद हैं।

डॉ. निरंकुश ने लिखा है कि सब कुछ ज्ञात होते हुए भी राजस्थान सरकार द्वारा ‘मीणा’(Meena) नाम से जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये जाने और राज्य सरकार द्वारा मीना/मीणा/Meena/Mina जाति के लोगों को पूर्व में मीणा/Meena नाम से बनाये जा चुके जाति प्रमाण-पत्रों को ‘मीना’ ;(Mina) नाम से सुधार नहीं करने के मनमाने आदेश जारी किये जा चुके हैं। जिससे मीणा जनजाति की उभरती युवा प्रतिभाओं को आरक्षण से वंचित करने का मनुवादियों, पूंतिपतियों और काले अंग्रेजों का षड़यंत्र सफल होता दिख रहा है। जिसके कारण शांति और सौहार्द के लिये ख्याति प्राप्त राजस्थान की आदिवासी मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के लोगों में, विशेषकर नौकरी और उच्च शिक्षा की उम्मीद लगाये बैठे युवा वर्ग में सरकार के निर्णय के विरुद्ध भयंकर क्षोभ, आक्रोश और गुस्सा उत्पन्न हो रहा है। जो किसी भी लोकप्रिय और लोकतांत्रिक सरकार के लिये चिन्ताजनक है।

पत्र के अन्त में डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ ने लिखा है कि ‘हक रक्षक दल’ के अजा, अजजा, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और सदस्यों की ओर से राजस्थान सरकार को तीन सुझाव प्रस्तुत हैं-
प्रथम-राज्य सरकार की ओर से जारी अलोकतांत्रिक आदेश को जनहित और मीणा जनजाति के उत्थान हेतु तुरन्त वापस लिया जावे।
द्वितीय-मीणा जाति को सामान्य जाति बताकर मीणा जाति के विरुद्ध दुष्प्रचार करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जावे। और
तृतीय-राजस्थान सरकार की ओर से केन्द्र सरकार को अविलम्ब निम्न सिफारिश की जावे-
‘‘जनजातियों की सूची में क्रम 9 पर मीना/डपदं जाति को ‘मीणा/मीना/Meena/Mina, मैना/मैणा/Maina, मेंना/मेंणा/Menna, मेना/मेणा/Mena’ जाति के नाम से शामिल करके संशोधित अधिसूचना जारी की जावे।’’

डॉ. निरंकुश ने अपने पत्र में आगाह करते हुए आशा व्यक्त की है कि लोक कल्याण और सामाजिक न्याय की संवैधानिक अवधारणा के साथ-साथ, आगामी दीपावली के त्यौहार को ध्यान में रखते हुए सुझाये गये कदम उठाकर राज्य सरकार राजस्थान में न्यायप्रिय और लोकप्रिय सरकार संचालित होने का परिचय देगी। स्रोत : प्रेसपालिका।

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